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1. अल्लाह की कुदरतें और नेमतें। |
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मुश्रिकीन के लिए दोटोक एलान। |
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अल्लाह की तख़्लीक़ के तीन शाहकार। |
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चौपाए अल्लाह की कितनी बड़ी नेमत हैं। |
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पानी की बरकतें। |
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जहान है तेरे लिए तू नहीं है जहान के लिए। |
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कायनात की ज़ीनत रंगा रंगी से है। |
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इंसानों के लिए समुद्री बरकतें। |
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ज़मीन पर मज़ाहिर ए कुदरत। |
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ख़ालिक़ के बराबर कोई नहीं हो सकता है। |
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2. 2.मुश्रिकीन ए मक्का के साथ कशमकश |
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तुम अल्लाह की नेमतें शुमार नहीं कर सकते। |
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अपने जैसे इंसानों को माबूद ना बनाओ। |
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गुमराही फैलाना गुनाह ए जारिया है। |
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अल्लाह का एसा अज़ाब जिसका गुमान तक ना था। |
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कब्र जहन्नुम के गढों में से एक गढ़ा हैं। |
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सबसे बडी ख़ैर अल्लाह की किताब क़ुरआन करीम है। |
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कब्र जन्नत के बाग में से एक बाग हैं। |
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नाफ़रमानों को किस बात का इंतजार है? |
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शिर्क के लिए खुशनुमा जवाज़। |
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रसूलों की दावत.... अल्लाह की इबादत और ताग़ूत से बगावत। |
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अल्लाह झूठों को घर तक पहुंचाएगा। |
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अल्लाह की राह में हिजरत की फ़ज़ीलत। |
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हदीस ,क़ुरआन की वज़ाहत करती हैं। |
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अल्लाह के अज़ाब से हर वक्त डरते रहो। |
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हर चीज़ ही नहीं बलकी उसका साया भी अल्लाह को सजदा करता है। |
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दो माबूद ना बनाओ। |
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हर नेमत अल्लाह ही की देन है। |
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.मुश्रिकीन ए मक्का की बेइंसाफ़ी। |
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अल्लाह की रहमत ना होती तो हम तबाह हो जाते। |
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सौ सौ गुनाह किये तेरी रहमत के ज़ोर पर। |
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क़ुरआन की फ़ैसलाकुन वज़ाहत....हदीस ए नबवी ﷺ। |
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3. अल्लाह की कुदरतें और नेमतें। |
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अल्लाह की नेमत चार मश्रूबात(पीने की चीज़) के रूप में। |
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इंसान की बेबसी। |
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शिर्क की नफ़ी एक वाज़ह मिसाल है। |
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अल्लाह के एहसान और बंदों की नाशुक्री। |
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दो बलीग़ मिसालें। |
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अल्लाह की बेमिसाल कुदरतें और नेमतें। |
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4. ईमान बिल आख़िरत। |
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उम्मत के खिलाफ़ रसूलों की गवाही। |
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न पर तकिया था वही पत्ते हवा देने लगे। |
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नबी-ए-अकरम ﷺ की उम्मत के खिलाफ़ गवाही। |
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5.अहम हिदायात ए रब्बानी। |
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अल्लाह की पसंद और नापसंद। |
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मुआहदे(वादे) की पासदारी का हुक्म। |
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आर्ज़ी मफ़ादात के लिए मुआहदे का सौदा ना करो। |
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पाकीज़ा ज़िंदगी.....अल्लाह का इनाम। |
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शैतान का वार किस पर कारगर होता है? |
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6. मुश्रिकीन ए मक्का के साथ कशमकश। |
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क़ुरआन मजीद पर एतराज़ का जवाब। |
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मुरतद की मज़म्मत। |
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अभी इश्क के इम्तेहान और भी हैं। |
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कयामत के दिन हर एक को अपनी पड़ी होगी। |
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क़ुरआन में पाकिस्तान का ज़िक्र। |
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हलाल और हराम के हवाले से हिदायत। |
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8. अज़मत ए इब्राहीम अलैहिस्सलाम |
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यहूदियों के लिए सज़ा। |
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हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम अपनी ज़ात में एक उम्मत थे। |
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अल्लाह के नज़दीक अफ़ज़ल दिन जुम्मा है, सबत(शनिवार) नहीं। |
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9. सबर और इस्तेक़ामत की ताक़ें |
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दावत ए दीन की तीन सतहें। |
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सबर और तक़्वा की अहमियत। |