my quran journey

008. Al Anfal-H

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जंग-ए-बदर के हालात पर तबसेरा( टिप्पणी)। 1. बंदा-ए-मोमिन का बातिनी और ज़ाहिरी किरदार। माले ग़नीमत के बारे मे फ़ैसला।
बंदा-ए-मोमिन की बातिनी और ज़ाहिरी सिफ़ात।
बदर से पहले की मशावरत।
2. मैदाने बदर में अल्लाह की मदद। अल्लाह की मदद और फरिश्तों का नुज़ूल।
दौराने जंग मुसलमानों के लिए हिदायात।
फ़ैसलाकुन चीज़ अल्लाह की मदद है।
3. अल्लाह और उसके रसूल ﷺ की पुकार पर लब्बैक कहो। अल्लाह और उसके रसूल ﷺ की इतात का हुक्म।
अल्लाह और उसके रसूल ﷺ की पुकार पर लब्बैक कहो।
अहले पाकिस्तान का ज़िक्र।
4. अल्लाह मुत्तक़ियों को सुरख़ुरू करता है। तक़्वा की बरकतें।
मुश्रिकीन-ए-मक्का के नापाक इरादे और उन का अंजाम।
5. ऐसा दौर फ़ितने का है जिस में दीन ग़ालिब ना हो। मुश्रिकीन-ए-मक्का को इस्लाह, अमल की दावत।
दीन का मग़लूब होना फ़ितना है।
माल-ए- ग़नीमत की तक़सीम(बांटने) का हुक्म।
बदर का मारका अल्लाह की तरफ़ से तय था।
6. फ़तह असबाब से नहीं अल्लाह की मदद से हासिल होगी। दौराने जंग मुसलमानों के लिए हिदायात।
शैतान की धोका ढड़ी।
7. दीन के तक़ाज़ों से पस पाई की सज़ा। मुनाफ़िक़ाना तर्ज़े फ़िकर।
अज़ीयतनाक मौत।
नाशुक्री से नेमत छिन जाती है।
यहूद की अहद शिक्नी (तोड़ना)।
जंग के लिए भरपूर तैयारी का हुक्म।
8. भरपूर जंगी तैयारी करो लेकिन भरोसा अल्लाह पर रखो। जंग के लिए भरपूर तैयारी का हुक्म।
दुश्मन की तरफ़ से सुलह की पेशकश कुबूल कर ली जाए।
साथियों के बीच उलफ़त अल्लाह के फ़ज़ल ही से मुमकिन है।
9. एक नाज़ुक मज़मून (टोपिक)। कुव्वते ईमान, थोडे मोमिनों को ज्यादा काफ़िरों पर ग़ालिब कर देती है।
काफ़िरों को क़ैदी बनाने पर इज़हारे नाराज़गी।
10. बंदा-ए-मोमिन का ख़ार्जी किरदार। कैदियों से इज़हारे शफ़क़त।
दोस्ती का मियार रिश्ता-ए- ईमान को बनाओ।
बंदा-ए-मोमिन की ज़ाहिरी सिफ़ात।
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