my quran journey

005. Al Maaidah-H

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1.Heading 2.Ayyat 3.Sub-Heading
1. अहकाम-ए- शरियत और तकमील-ए-शरियत का एलान। अहम उसूली हिदायतें और अहकाम-ए- शरियत।
दीन-ए-इसलाम की तकमील(मुकम्मल होने) का एलान।
अल्लाह ने पाकीजा चीज़ें हलाल फ़रमाई है।
वुज़ु के फ़राइज़ का बयान।
शरियत एक नेमत और कलिमा-ए-तय्यब एक अहद (प्रण) है।
अदल(इन्साफ) के अलमबरदार बन कर खड़े हो जाएँ।
भरोसा अल्लाह ही पर करना चाहिए।
2. शरियत पर अमल और उसके निफ़ास से पेहलू तही(कतराना)। बनी इस्राईल से अहद-ए-शरियत।
बनी इस्राईल पर अल्लाह की लानत की वजह अहद खिलाफी।
अहले किताब को नबी करीम ﷺ और कुरआन पर ईमान लाने की दावत ।
हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम माबूद नही मख़लूक़ हैं।
अल्लाह की महबूब उम्मत होने का दावा?
अहले किताब के लिए इत्माम-ए-हुज्जत।
बनी इस्राई का शरियत के लिए क़िताल(जंग) करने से इंकार।
हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम की बुजदिल कौम के खिलाफ बद्दुआ।
कुर्बानी,हज़रत हाबील की शहादत।
इन्सानी जान की हुरमत।
दहशतगर्दी की सज़ा।
अल्लाह का क़ुर्ब कैसे हासिल होता है।
काफ़िर जहन्नुम से नही निकल सकते।
काफ़िर जहन्नुम से नही निकल सकते।
ज़बान से ईमान का इज़हार लेकिन दिल की महरूमी मुनाफ़िक़त है।
3 निफ़ाज़- ए- शरियत और हिज़्बुल्लाह के औसाफ़। शरियत के मुताबिक़ फैसले ना करने वाले काफ़िर हैं।
शरियत के मुताबिक़ फैसले ना करने वाले काफ़िर हैं।
शरियत के मुताबिक़ फैसले ना करने वाले फ़ासिक़ हैं।
ख़्वाहिशात की पैरवी ना करो, शरियत नाफ़िज़ करो।
क्या चाहते हो आदिलाना शरियत या ज़ालिमाना जाहिलियत?
यहूदियों और ईसाईयों को दोस्त मत बनाओ।
अल्लाह के महबूब बंदों की सिफ़ात।
अहले ईमान के हक़ीक़ी दोस्त कौन हैं।
4. अहले किताब के लिए तरग़ीब और मलामत। दीन-ए-इसलाम का मज़ाक उड़ाने वालों को दोस्त मत बनाओ।
यहूद के शर्मनाक जुर्म।
निफ़ाज़- ए- शरियत की बरकतें।
क़ुरआन की तबलीग़ रसूल अल्लाह ﷺ का फ़र्जे मंसबी है।
शरियत नाफ़िज़ ना करने वालों की अल्लाह की निगाह में कोई इज्ज़त नहीं।
किसी गिरोह से निसबत आख़िरत में निजात के लिए काफ़ी नहीं।
शरियत के बजाए ख़्वाहिशाते नफ़्स की पैरवी।
शिर्क करने वाले पर जन्नत हराम है।
बनी इस्राईल के नाफ़रमानों पर पैगम्बरों की लानत।
मुसलमानों के दोस्त और दुश्मन।
5. अहकाम-ए-शरियत। हलाल को हराम कर लेना भी जुर्म है।
कसम का कफ़्फ़ारा।
जुआ और शराब की हुरमत का हत्मी हुक्म।
अल्लाह का क़ुर्ब तक़्वे से हासिल होता है।
हालत-ए-इहराम में शिकार करने का अमल।
शआइर अल्लाह का एहतेराम।
अल्लाह की दो शानें।
रसूल के जिम्मे पहुँचाना है मनवाना नहीं।
हक़ का मयार कसरत नहीं।
ग़ैर ज़रूरी सवालात से मना किया गया है।
जानवरों के लिए खुदसाख़्ता तक़द्दुस ।
किसी की गुमराही हमारी बेअमली का जवाज़ नही बन सकती।
वसीयत पर गवाही कैसे दी जाएगी?
6.Imaan Bil Risalat रसूलों की अल्लाह के हुज़ूर आजिज़ी।
रसूलों की अल्लाह के हुज़ूर आजिज़ी।
फरमाइशी मोज्ज़े का मुतालबा।
ईसाईयों के शिर्क से ईसा अलैहिस्सलाम का एलाने बरात ।
सच्चाई का सिला रोज -ए-क़यामत मिलेगा।
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