my quran journey

004. An Nissa-H

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1. इसलाम की माशरती हिदायात जिन का अहम मक़सद है हर एक की जान, माल और इज़्जत का एहतेराम (सम्मान) और हिफाजत(सुरक्षा)। इन्सानी भाइ चारे की बुनियाद।
खवातीन (स्त्रियों) और यतीमों(अनाथ) के हक़।
विरासत के अहकाम(कानून)।
हुदूद अल्लाह की अहमियत ।
बदकारी की सज़ा।
तौबा का बयान।
खवातीन (स्त्रियों) के हक़।
किन औरतों से निकाह हराम है।
शरियत अल्लाह की रहमत को ज़हिर करती है।
माल और जान की हुरमत।
बडे़ गुनाहों से बचें छोटे गुनाह माफ़ कर दिए जाएँगे।
हसद मत करो।
हक़दार को हक़ दो।
नेक बीवी अपने शौहर की ताबेदार होती है।
इसलाम की माशरती तालीमात का खुलासा।
अल्लाह के रसूल ﷺ की अपनी उम्मत के ख़िलाफ़ गवाही।
शराब की हुरमत के हवाले से दूसरा हुक्म।
2. यहूदियों के जुर्म। यहूद की घटिया हरकतें।
शिर्क माफ़ी के काबिल जुर्म नहीं है।
यहूद के कुछ और जुर्म।
जहन्नुम में जली हुई खाल को नई खाल से बदल दिया जायेगा।
अहले जन्नत के लिये हमेशा की नेमतें और घने साये।
3 अहले किताब और मुनाफ़िको की कमजोरियों की मज़म्मत। इसलाम के सियासी उसूल।
इतात-ए-रसूल ﷺ से गुरेज़ मुनाफ़िक़त की निशानी है ।
इतात-ए-रसूल ﷺ से गुरेज़ मुनाफ़िक़त की निशानी है।
इतात-ए-रसूल ﷺ की अहमियत।
सब्र-ए-महज़ का हुक्म हैं।
मौत का वक़्त तय है।
रसूल ﷺ की इतात भी अल्लाह की इतात है।
मुनाफ़िक़त का इलाज तदब्बुर-ए-क़ुरआन है।
बग़ैर तहकीक के ख़बर आगे ना बड़ाओ।
अच्छी दावत सवाब-ए-जारिया और बुरी दावत गुनाह-ए-जारिया है।
कत्ल-ए-ख़ता का कफ़्फ़ारा।
कत्ल-ए-नाहक़ का वबाल।
ज़बान से इक़्रार इन्सान को मुसलमान बना देता है।
अल्लाह की राह में निकलने की फ़ज़ीलत।
क़स्र नमाज़ का हुक्म।
सलातुल क़ौफ़ का हुक्म।
नमाज़ वक्त की पाबंदी के साथ फर्ज़ है।
मुसलमान और काफ़िर के अमल का फर्क।
ख़यानत करने वालों की हिमायत मत करो चाहे वह मुसलमान ही क्यों न हो।
नबी ﷺ पर अल्लाह का फ़ज़ल।
नज्वा (सरगोशी) की पसंदीदा सूरत।
इज्मा-ए-उम्मत के लिए क़ुरआन से दलील।
शिर्क का गुनाह माफ़ नहीं किया जाएगा।
शैतान के नापाक अज़्म।
शी देनेवाली ख्वाहिशें काम ना आएंगी।
बहतरीन रविश मिल्लत-ए-इब्राहीम की पैरवी हैं।
औरतों के हक़।
अल्लाह का तक़्वा इख्तियार ना करना कुफ्र है।
तय करलो दुनिया के तलबगार हो या आख़िरत के?
इन्साफ करो चाहे अपनो के खिलाफ़ ही क्यों ना हो।
मान हक़ीक़ी हासिल करो।
ईमान और कुफ्र के दरमियान बातिनी कश्मकश।
काफ़िरों से दोस्ती करने वाले मुनाफ़िक है।
शआइर-ए-दीन की तौहीन मत बरदाश्त करो।
मुनाफ़िकों की रविश।
मिनो के मुकाबले में काफ़िरों को दोस्त ना बनाओ।
मुनाफ़िक़ जहन्नम के सब से निचले गड़े में होंगें।
मजलूम की आह से बचो।
अहले किताब के जुर्म और अहले ईमान के लिए हिदायत। रिसालत पर ईमान के हवाले से फ़ितनों का बयान ।
एसे जुर्म का बयान जो यहूद पर लानत का सबब बने।
हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम ज़िन्दा आसमान पर उठा लिए गए।
यहूद पर पाकीजा नेमतें क्योंं हराम की गई ?
यहूद के नेक लोगों के लिए बशारत(खुशखबरी)।
अंबिया के प्यारे नामों का गुलदस्ता।
रिसालत का मकसद ... इनसानों पर इत्माम-ए-हुज्जत।
कुरआन की हक़्क़ानियत का बयान जलाली अन्दाज़ में।
तमाम लोगों को नबी ﷺ पर ईमान लाने की दावत।
ईसाइयों को एतेदाल पर रहने की दावत।
मरतबे की बुलंदी अल्लाह के सामने झुकने में है।
कुरआन हुसूल-ए-रहमत का ज़रिया है
कलाला की विरासत।
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