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1. इसलाम की माशरती हिदायात जिन का अहम मक़सद है हर एक की जान, माल और इज़्जत का एहतेराम (सम्मान) और हिफाजत(सुरक्षा)। |
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इन्सानी भाइ चारे की बुनियाद। |
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खवातीन (स्त्रियों) और यतीमों(अनाथ) के हक़। |
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विरासत के अहकाम(कानून)। |
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हुदूद अल्लाह की अहमियत । |
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बदकारी की सज़ा। |
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तौबा का बयान। |
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खवातीन (स्त्रियों) के हक़। |
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किन औरतों से निकाह हराम है। |
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शरियत अल्लाह की रहमत को ज़हिर करती है। |
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माल और जान की हुरमत। |
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बडे़ गुनाहों से बचें छोटे गुनाह माफ़ कर दिए जाएँगे। |
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हसद मत करो। |
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हक़दार को हक़ दो। |
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नेक बीवी अपने शौहर की ताबेदार होती है। |
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इसलाम की माशरती तालीमात का खुलासा। |
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अल्लाह के रसूल ﷺ की अपनी उम्मत के ख़िलाफ़ गवाही। |
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शराब की हुरमत के हवाले से दूसरा हुक्म। |
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2. यहूदियों के जुर्म। |
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यहूद की घटिया हरकतें। |
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शिर्क माफ़ी के काबिल जुर्म नहीं है। |
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यहूद के कुछ और जुर्म। |
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जहन्नुम में जली हुई खाल को नई खाल से बदल दिया जायेगा। |
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अहले जन्नत के लिये हमेशा की नेमतें और घने साये। |
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3 अहले किताब और मुनाफ़िको की कमजोरियों की मज़म्मत। |
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इसलाम के सियासी उसूल। |
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इतात-ए-रसूल ﷺ से गुरेज़ मुनाफ़िक़त की निशानी है । |
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इतात-ए-रसूल ﷺ से गुरेज़ मुनाफ़िक़त की निशानी है। |
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इतात-ए-रसूल ﷺ की अहमियत। |
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सब्र-ए-महज़ का हुक्म हैं। |
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मौत का वक़्त तय है। |
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रसूल ﷺ की इतात भी अल्लाह की इतात है। |
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मुनाफ़िक़त का इलाज तदब्बुर-ए-क़ुरआन है। |
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बग़ैर तहकीक के ख़बर आगे ना बड़ाओ। |
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अच्छी दावत सवाब-ए-जारिया और बुरी दावत गुनाह-ए-जारिया है। |
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कत्ल-ए-ख़ता का कफ़्फ़ारा। |
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कत्ल-ए-नाहक़ का वबाल। |
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ज़बान से इक़्रार इन्सान को मुसलमान बना देता है। |
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अल्लाह की राह में निकलने की फ़ज़ीलत। |
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क़स्र नमाज़ का हुक्म। |
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सलातुल क़ौफ़ का हुक्म। |
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नमाज़ वक्त की पाबंदी के साथ फर्ज़ है। |
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मुसलमान और काफ़िर के अमल का फर्क। |
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ख़यानत करने वालों की हिमायत मत करो चाहे वह मुसलमान ही क्यों न हो। |
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नबी ﷺ पर अल्लाह का फ़ज़ल। |
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नज्वा (सरगोशी) की पसंदीदा सूरत। |
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इज्मा-ए-उम्मत के लिए क़ुरआन से दलील। |
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शिर्क का गुनाह माफ़ नहीं किया जाएगा। |
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शैतान के नापाक अज़्म। |
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शी देनेवाली ख्वाहिशें काम ना आएंगी। |
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बहतरीन रविश मिल्लत-ए-इब्राहीम की पैरवी हैं। |
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औरतों के हक़। |
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अल्लाह का तक़्वा इख्तियार ना करना कुफ्र है। |
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तय करलो दुनिया के तलबगार हो या आख़िरत के? |
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इन्साफ करो चाहे अपनो के खिलाफ़ ही क्यों ना हो। |
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मान हक़ीक़ी हासिल करो। |
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ईमान और कुफ्र के दरमियान बातिनी कश्मकश। |
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काफ़िरों से दोस्ती करने वाले मुनाफ़िक है। |
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शआइर-ए-दीन की तौहीन मत बरदाश्त करो। |
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मुनाफ़िकों की रविश। |
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मिनो के मुकाबले में काफ़िरों को दोस्त ना बनाओ। |
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मुनाफ़िक़ जहन्नम के सब से निचले गड़े में होंगें। |
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मजलूम की आह से बचो। |
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अहले किताब के जुर्म और अहले ईमान के लिए हिदायत। |
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रिसालत पर ईमान के हवाले से फ़ितनों का बयान । |
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एसे जुर्म का बयान जो यहूद पर लानत का सबब बने। |
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हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम ज़िन्दा आसमान पर उठा लिए गए। |
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यहूद पर पाकीजा नेमतें क्योंं हराम की गई ? |
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यहूद के नेक लोगों के लिए बशारत(खुशखबरी)। |
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अंबिया के प्यारे नामों का गुलदस्ता। |
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रिसालत का मकसद ... इनसानों पर इत्माम-ए-हुज्जत। |
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कुरआन की हक़्क़ानियत का बयान जलाली अन्दाज़ में। |
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तमाम लोगों को नबी ﷺ पर ईमान लाने की दावत। |
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ईसाइयों को एतेदाल पर रहने की दावत। |
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मरतबे की बुलंदी अल्लाह के सामने झुकने में है। |
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कुरआन हुसूल-ए-रहमत का ज़रिया है |
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कलाला की विरासत। |