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2.Ayyat |
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(पहला हिस्सा |
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1. तमहीद |
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ज़ात व सिफ़ाते बारी ताला। |
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फ़ितने पैदा करने वालों का तर्ज़े अमल। |
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फ़्फार के लिये वईद। |
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दुनिया बमुक़ाबिल आख़िरत। |
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अल्लाह की शान-ए-ख़ास........क़याम-ए-अदल। |
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अल्लाह के नज़दीक दीन सिर्फ इसलाम है। |
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इसलाम का रास्ता ही हिदायत का रास्ता है। |
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अहले किताब के जुर्म। |
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अल्लाह की अज़मतों का बयान। |
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मूमिन काफ़िरों को मोमिनों के मुक़ाब्ले में दोस्त ना बनाए। |
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अल्लाह इन्सान के ज़ाहिर और बातिन से वाख़िफ है। |
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अल्लाह की मुहब्बत इत्तेबा -ए-रसूल ﷺ से हासिल होगी। |
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इतात-ए-रसूलﷺ से एराज़ (मुह मोढ़ना) कुफ्र है। |
2. नज्रान के ईसाइयों से ख़िताब और उनकी गुमराही का तसव्वुर। |
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आल -ए-इमरान पर इनायते रब्बानी। |
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हज़रत यहया अलैहिस्सलाम की मोज्ज़ाना विलादत( जन्म)। |
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हज़रत मर्यम की तमाम औरतों पर फ़ज़ीलत। |
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हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम का मोज्ज़ाना जन्म और उनके मोज्ज़ात। |
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हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम की दावत और बनी इस्राईल का रद्दे अमल |
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हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम का रफ़ा -ए-आसमानी। |
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हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम की मिसाल हज़रत आदम अलैहिस्सलाम की तरह है। |
3. तहवील -ए-उम्मत का मज़मून। |
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अहले किताब को दावत। |
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अहले किताब की मुसलमानों से दुश्मनी। |
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शऊरी मुनाफ़िक़त.........यहूद की साजिश। |
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अहलेे किताब में नेक लोग भी हैं। |
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यहूद का अल्लाह की किताब में तहरीफ़ करना (बदलना)। |
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नबी के लिए इमकान नहीं के वो शिर्क की तालीम दें। |
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बिया इक्राम अलैहिस्सलाम से अह्दे ख़ास। |
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पूरी कायनात का दीन इसलाम है। |
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हर नबी पर ईमान लाना ज़रूरी है। |
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इसलाम के सिवा और कोई दीन काबिल-ए-क़ुबूल नहीं। |
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की का अव्वल मज़हर........महबूब चीज़ का इन्फ़ाक़(खर्च करना)। |
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मन घडन्त बात अल्लाह की तरफ मन्सूब करना ज़ुल्म है। |
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बे की अज़मत और हज की फ़र्ज़ियत। |
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अहलेे किताब की मुसलमानों से दुश्मनी। |
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(दूसरा हिस्सा |
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1. अहले ईमान के लिए हिदायत और अहले किताब की मुसलमानों से दुश्मनी |
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फौज़ व फ़लाह(कामयाबी )के लिए निकाती लाहे अमल। |
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रोज़ ए कयामत कुछ चेहरे रौशन और कुछ स्याह होंगे। |
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मकसदे उम्मत....अम्र बिल मारूफ(नेकी का हुक्म देना), नहीं अनिलमुनकर(बुराई से रोकना)। |
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उम्मत ज़लील और रुस्वा क्यों होती है। |
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ज़लील और रुस्वा उम्मत में भी सालिहीन का गिरोह होता है। |
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अहले किताब दुश्मन हैं,उनसे दोस्ती मत करो। |
2. Gaszwa-E-Uhad: Muslmano pe Tankid "Lesson for the Future" |
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अल्लाह की तरफ़ से मदद की बशारत(खुश खबरी)। |
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हिदायत देने का इख्तियार सिर्फ़ अल्लाह को है। |
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सूद मुरक्कब(चक्रवृद्धि ब्याज ) की हुरमत। |
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अहले ईमान के लिए कीमती हिदायत। |
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मुत्तक़ी कौन हैं ? |
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दायत के हुसूल के लिए ज़रिये 1. तारीख से इब्रत 2. आयात - ए- क़रआनी से फ़ैज़(फ़ायदा )। |
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मुसलमानों के उरूज(ग़ल्बा) की शर्त ईमान है। |
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अहले ईमान हिम्मत ना हारना। |
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वाबस्तगी नबी की हयात से नही उनके मिशन से रखो। |
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मौत का समय तय है। |
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अल्लाह वाले अल्लाह की राह में जंग करते हैं। |
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काफ़िरों का मिशन ....मुसलमानों को ईमान की दौलत से महरूम करना। |
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नज़म की ख़िलाफ अर्ज़ी (ढिसिपलिन तोडना)....जीत हार में बदल गई। |
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मुश्किलों पर मुश्किलों की हिकमत। |
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मौत का वक्त ही नहीं ,जगह भी तय है। |
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बुज़दिली गुनाहों की वजह से पैदा होती हैं। |
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अल्लाह के रास्ते में मौत इस दुनिया और इसमें जो भी है उससे बहतर है |
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अमीर-ए-कारवाँ के लिए हिदायात। |
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असल फैसला करने वाली चीज़ अल्लाह की मदद हैं। |
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नबी ﷺ की दियानतदारी इखलास से भरपूर है। |
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नबी ﷺ ने सालिहीन की जमात कैसे तैयार की? |
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उहद में हार की वजह और हिकमत। |
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शहीदों के लिए इनाम। |
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ज़ख्मों से चूर सहाबा इक्राम रज़ि अल्लाहु अनहुम की बहादुरी और साहस। |
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आज़माइश मोमिन और मुनािफ़िक़ को जुदा कर देती हैं। |
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बुख़ल ( कन्जूसी) कयामत के दिन गले का फन्दा होगा। |
3. पूरी सूरह का खुलासा और एक अज़ीम दुआ। |
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यहूद की गुस्ताखियॉं और झूठ। |
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असल कामियाबि जहन्नम से निजात(छुटकारा) है। |
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अल्लाह की राह में आजमाइशें होगी। |
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अहले किताब की अल्लाह की किताब के साथ बेवफाई। |
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तारीफ़ और तहसीन की ख्वाहिश अज़ाब से दो चार कर देगी। |
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कायनात की तख़लीक़ पर गौर करना अल्लाह की मारिफ़त का ज़रिया है। |
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लूक-ए-क़ुरआनी.............ज़िक्र-ओ- फ़िकर। |
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तकमीले ईमान और ईमान अफ़्रोज़ दुआएं। |
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अफलाक से आता है नालों का जवाब आख़िर। |
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काफ़िरों की सरगरमियों का असर ना लो। |
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अहले किताब में भी सालिहीन हैं। |
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आख़िरत की कामयाबी के लिए चार हिदायात। |